( तर्ज - ऊँचा मकान तेरा ० )
बन - बनके साधु आया ,
रँगमें भला रँगाया ।
बूटी भली चढायी ,
सब तोड डारि माया ॥ टेक ॥
छाटी गुलाब बाना ,
नैनोंमें है दिवाना ।
बेचैन दम निशाना ,
षड् चोरको दबाया ॥ १ ॥
ले ग्यानकी कट्यारी ,
मन काबुमें सवारी ।
ईश्वरकि याद पूरी ,
नाचे , न ख्याल काया ॥२ ॥
दिल मस्तिमें उडावे ,
चलते नजरमें आवे ।
आतमकि धून गावे ,
सँगमें समान लाया ॥३ ॥
सोहँकी एकतारी ,
लगती बडी है प्यारी ।
तुकड्या कहे मिलाओ ,
उसके चरणकी छाया ॥ ४ ॥
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